Saturday, June 4, 2011

नैन बहुत कुछ कह जाते हैं


"नैन बहुत कुछ कह जाते हैं"

नैन बहुत कुछ कह जाते हैं, कितना भी इन्कार करो 
मगर समर्पण मूल प्रेम का, यह भी तो इकरार करो 

प्रेम की सीमा उम्र नहीं है जानो, मत अनजान बनो 
भले ह्रदय में द्वन्द के कारण, चाहो तो इज़हार करो 

बनो नहीं नादान कभी तुम, समझो सभी इशारों को 
और समेटो हर पल खुशियाँ, कभी नहीं तकरार करो 

चार दिनों का यह जीवन है,प्रेम फुहारें हों सुरभित 
कहीं वेदना अगर विरह की, उस पल को भी प्यार करो 

काँटों में रहकर जीने की, कला कुसुम ने सीख लिया 
देर हुई है मत कहना फिर, आकर के स्वीकार करो 

-कुसुम ठाकुर- 

6 comments:

  1. सच कहा नैन बहुत कुछ कह जाते है बस उनकी भाषा पढनी आनी चाहिये…………सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. चार दिनों का यह जीवन है,प्रेम फुहारें हों सुरभित कहीं वेदना अगर विरह की, उस पल को भी प्यार करो
    बहुत सुंदर रचना।

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  3. कुसुम जी आज तो अलग ही मिजाज की सुंदर गजल पढने मिली।

    आभार

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  4. कांटों में रहकर जीने की कला कुसुम ने सीख लिया देर हुई है
    मत कहना फिर ,आकार के स्वीकार करो।
    सुन्दर अति सुन्दर बधाई।

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  5. चार दिनों का यह जीवन है,प्रेम फुहारें हों सुरभित
    कहीं वेदना अगर विरह की, उस पल को भी प्यार करो

    बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना के लिए बधाई |

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