"उल्फत न कहूँ तो ठीक नहीं"
जब भूली ना उन लम्हों को, याद आए कहूँ तो ठीक नहीं
कह दूँ कैसे तुम रूठ गए, बेवफा कहूँ तो ठीक नहीं
डूबी रहती हूँ खयालों में , ख़्वाबों को संजोया है दिल में
जब होश में आती हूँ सचमुच, उल्फत न कहूँ तो ठीक नहीं
क्या करूँ जो दिल ये माने ना, मजबूरी को भी जाने ना
जब तुम बसते हो साँसों में, दर्मियाँ कहूँ तो ठीक नहीं
जीवन के भाव नहीं वश में,गम खुशियों का ही संगम है
यादों के साये में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं
कुसुम ने जीवन से सीखा, भाए ना शब्दों की बंदिश
न मिलन बिछोह समझ पाई, मजबूरी कहूँ तो ठीक नहीं
-कुसुम ठाकुर-
जीवन के भाव नहीं वश में,गम खुशियों का ही संगम है
ReplyDeleteयादों के साये में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं
गज़ब के भावों को संजोया है…………शानदार प्रस्तुति।
bahut hi damdar rachna
ReplyDeletebahut khub
सुन्दर ख़यालात , मुबारक्बाद।
ReplyDeleteसुन्दर भाव से ओत-प्रोत रचना कुसुम जी - वाह। लीजिए मेरी तरफ से भी इसी तर्ज पे -
ReplyDeleteयह भाव कुसुम का देख सुमन, झाँका आँखों से अन्तर में
आतुर हैं दोनों मिलने को, मजबूरी कहूँ तो ठीक नहीं
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
pahlee baar aapke blog pe pahucha..behatareen rachna...
ReplyDeleteयादों के साये में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं..
ReplyDeleteकुछ पंक्तियाँ दिल को छू जाती है...
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ..हाइकु भी बहुत अच्छे लिखे हैं...