Wednesday, December 29, 2010

जिद्द भी करूँ क्यूँ न वादा करो

"जिद्द भी करूँ क्यूँ न वादा करो"

 गुम सुम रहो और न बातें करो,
कहूँ मैं क्या जो यकीं मुझपर करो 

पल पल की यादें हूँ मैं कितनी दूर,
विरह वेदना है बेताबी हरो 

नाराज़ जीवन, छुपे मुझसे क्यूँ ,
गिले शिकवे क्यों अब न मुझसे करो

मेरी भावनाएँ हुई कबसे गौण,
हो पहचान मेरी न आहें भरो 

अदाएँ भी मेरी रहे मुझसे दूर,
जिद्द भी करुँ क्यूँ न वादा करो 

लम्हें बची ना करो तुम यकीन,
  नजदीकियाँ हैं न चैन वरो  

- कुसुम ठाकुर -  

8 comments:

  1. बहुत खूब,
    सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति.
    बधाई स्वीकार कीजिये.

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  2. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति , बधाई । नववर्ष की शुभकामनायें।

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  4. भावुक प्रेमाभिव्यक्ति...

    बहुत ही सुन्दर रचना...वाह ...

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  5. अदाएँ भी मेरी रहे मुझसे दूर,
    जिद्द भी करुँ क्यूँ न वादा करो।

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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