Thursday, May 20, 2010

मुझे आज मेरा वतन याद आया

"मुझे आज मेरा वतन याद आया"

मुझे आज मेरा वतन याद आया ।
ख्यालों में वह तो सदा से रहा है ,
मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि ।
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।


छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
निकल न सकूँ यह मजबूरी अब तो ।
करुँ क्या मैं अब तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई उधर मौत का डर ।
मुझे आज ............................... ।


बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
मगर जोड़ना कफ़न के लिए भी ।
गज भर जमीं बस मिले वहीँ पर ,
पर वह मुमकिन अब तो नहीं है ।
मुझे आज ...........................।


साँसों में भी तो सदा से रहा है ,
मगर बंद आँखें, हों उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम फ़िर मुझे उस जमीं पर ।
मुझे आज ............................।

- कुसुम ठाकुर -

5 comments:

  1. bahut hi sundar deshprem ka jazba.

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  2. waah bahut umda rachna...pyaar chalaka diya apna desh ki khatir...

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  3. छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
    निकल न सकूँ यह मजबूरी अब तो ।
    अंतर्द्वन्दों के बीच वतन की याद
    बहुत सुन्दर

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  4. छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
    निकल न सकूँ यह मजबूरी अब तो ।
    अंतर्द्वन्दों के बीच वतन की याद
    बहुत सुन्दर

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  5. वतन से दूर वतन की याद में सिसकने वाले लोग ...
    और वतन में रहकर वतन की मिटटी करते लोग ...
    दुर्भाग्य है इस वतन का ...

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