Friday, February 19, 2010

रोना भी क्या एक कला है


" रोना भी तो एक कला है "

रोना क्यों कर दुर्बलता है ?
यह तो नयनों की भाषा है

सुख देखे तो छलक जाता है
दुःख में फिर भी सहज आता है

लाख संभालो , न तब रुकता है
न निकट हो कोई आहत करता है

उमड़ घुमड़ जो बस जाता है
श्रांत ह्रदय वह कर देता है

रोना भी तो एक कला है
फिर क्यों लगे यह भरमाता है ?

- कुसुम ठाकुर -


8 comments:

  1. सच में देखा जाये तो हमारे जीवन में आसुओं की अपनी एक अलग ही जगह है , कविता बहुत बढ़िया लगी ।

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  2. "घर की तामीर चाहे जैसी हो,
    इसमें रोने की इक जगह रखना"

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  3. है तो खैर कला ही है. बढ़िया.

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  4. बहुत कमज़ोर और बहुत मज़बूत दोनों ही रो सकते हैं बस वक़्त वक़्त की बात है

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  5. अगर सायास रोया जाये तो कला है ।

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  6. मन का मैल धुले रोने से कला कहें विज्ञान।
    हृदय बहुत निर्मल होता जब आँसू का सम्मान।।

    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  7. यह कला है तो सहज ही साध्या है ।

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  8. हंसी और खुशी
    दोनों में ही रोना कला है
    जैसे मिष्ठान मिठाई में कंद कला है

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