(मेरा १०० वाँ पोस्ट मेरे उस साथी को समर्पित जिसने मुझ पर विश्वास किया ।)
"जीवन तो है क्षण भंगुर"
बिछड़ कर ही समझ आता,
क्या है मोल साथी का ।
जब तक साथ रहे उसका,
क्यों अनमोल न उसे समझें ।
अच्छाइयाँ अगर धर्म है,
क्यों गल्तियों पर उठे उँगली ।
सराहने मे अहँ आड़े,
अनिच्छा क्यों सुझाएँ हम ।
ज्यों अहँ को गहन न होने दें,
तो परिलक्षित होवे क्यों ।
क्यों साथी के हर एक इच्छा,
को मृदुल-इच्छा न समझे हम ।
सामंजस्य की कमी जो नहीं,
कटुता का स्थान भी न हो ।
कहने को नेह बहुत,
तो फ़िर क्यों न वारे हम ।
खुशियों को सहेजें तो,
आपस का नेह अक्षुण क्यों न हो ।
दुःख भी तो रहे न सदा,
आपस में न बाटें क्यों ।
जो समर्पण को लगा लें गले,
क्यों अधिकार न त्यागे हम ।
यह जीवन तो है क्षण भंगुर,
विषादों तले गँवाएँ क्यों ।।
-कुसुम ठाकुर -
बिछड़ कर ही समझ आता,
क्या है मोल साथी का ।
जब तक साथ रहे उसका,
क्यों अनमोल न उसे समझें ।
अच्छाइयाँ अगर धर्म है,
क्यों गल्तियों पर उठे उँगली ।
सराहने मे अहँ आड़े,
अनिच्छा क्यों सुझाएँ हम ।
ज्यों अहँ को गहन न होने दें,
तो परिलक्षित होवे क्यों ।
क्यों साथी के हर एक इच्छा,
को मृदुल-इच्छा न समझे हम ।
सामंजस्य की कमी जो नहीं,
कटुता का स्थान भी न हो ।
कहने को नेह बहुत,
तो फ़िर क्यों न वारे हम ।
खुशियों को सहेजें तो,
आपस का नेह अक्षुण क्यों न हो ।
दुःख भी तो रहे न सदा,
आपस में न बाटें क्यों ।
जो समर्पण को लगा लें गले,
क्यों अधिकार न त्यागे हम ।
यह जीवन तो है क्षण भंगुर,
विषादों तले गँवाएँ क्यों ।।
-कुसुम ठाकुर -
सबसे पहले सौवें पोस्ट के लिए ढेरों बधाई,
ReplyDeleteजीवन की गहराइयों को आपने कारे अक्षर में समेट दिया है,
भावपूर्ण कविता के लिए एक और बधाई स्वीकारिये.
100वें पोस्ट की बधाई!
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट के लिए शुभकामनाएं, आपने अपने अनुभवो एवं विचारों को सहेज कर आने वाली पीढी के मार्गदर्शन का महती कार्य किया है पुनश्च शुभकामनाएं,
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट के लिए शुभकामनाएं.........
ReplyDeleteसबसे पहले तो सौवीं पोस्ट के लिए बधाई .. उसके बाद इतनी गंभीरता भरी रचना के लिए आपका धन्यवाद !!
ReplyDeleteभावपूर्ण और अत्यंत सुन्दर 100वे पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसफ़र जारी रहे
सौवीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteआनन्द प्राप्त भए।
ReplyDeleteबधाइयाँ।
रचते रहिए।
बधाई.... अब हज़ारवीं पोस्ट की ओर बढ़ें:)
ReplyDeletecongratulations!!..on this great achievement...wish u all the best for forthcoming posts...liked this poem very much..
ReplyDeleteशतकीय पोस्ट की अनेक बधाई...बहुत शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसमर्पण को लगा लें गले, क्यों अधिकार न त्याजे हम ।
यह जीवन तो क्षण भंगुर, विषादों तले गँवाएँ क्यों ।।
-सुन्दर रचना!!
जीवन तो क्षण भंगुर, विषादों तले गँवाएँ क्यों ।।
ReplyDeletewah
" 100 vi post ke liye aur is behtarin post ke liye aapko badhai "
ReplyDelete---eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
bahut bahut abhinandan !
ReplyDeletekusum ji
bahut bahut badhaai aapko.........
aapki souvin post par sou sou baar saikdon shubhkaamnaayen.....
kuchh bachaali hain aapki agli century ke liye..........
१०० वी पोस्ट के लिए बधाई हजारो लिखे.. शुभकामनाओ के साथ.
ReplyDeletejaldi hi is 100 ko 1000 men badlen, BADHAAAAIIIIIII dheron dher
ReplyDeleteआपके १००वे पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई.आपकी रचनायें बहुत ही भावनात्मक और मार्मिक होती हैं साथ ही साथ आपका अतीत भी झलकता है और किसी करीबी के प्रति आपका प्रेम और समर्पण कबीले तारीफ है.यह रचना भी अन्य सभी की तरह बहुत ही सुंदर है
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत-बहुत-बहुत बधाई १०० पोस्ट के लिए। इस मौके पर आपकी रचना लाजवाब रही।
ReplyDeleteKitna sahi kaha aapne......jab tak saathi saath hota hai,ham aham ko bhi parshv me bithaye rakhte hain aur prem nyochhvar karne ka suawsar kho dete hain....Bahut hi prernaprad sundar rachna...
ReplyDeleteShatak ke liye bahut bahut badhai...
बधाई!
ReplyDeleteसबसे पहले तो मेरे ब्लाग पर आने के लिये आभार, एक शतक पूरा हुआ, जिसके लिये बधाई एवं शुभकामनायें भावमय सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteअच्छी रचना है...आपकी सौवी पोस्ट के लिए बधाई !
ReplyDeleteयह जीवन तो क्षण भंगुर, विषादों तले गँवाएँ क्यों ।।
ReplyDeleteवाह वाह...कितनी अच्छी बात कही है आपने...काश इस बात को हम समझ लें तो जीवन सुखमय हो जाये...
नीरज
आप सभी स्नेही जनों को उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeletehamne to abhi shuruaat bhi nahin ki. aapko shatakiya paari ke liye badhai
ReplyDeleteसौंवी पोस्ट के लिए बधाई।
ReplyDeleteसही बात कही है।
घुघूती बासूती
सौंवी पोस्ट के लिए बधाई।
ReplyDeleteसही बात कही है।
घुघूती बासूती
सौवें पोस्ट के लिए ढेरों बधाई!! aapki kavita jeevan ii satyata ko darshati hai. jaha prem hai vaha samrpan bhi hai.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामना कुसुम जी। आपने सचमुच इन दिनों काफी मेहनत किया है लेखन के क्षेत्र में जिसका परिणाम सामने है। लेकिन यह हजारवीं पोस्ट तक जाय और यात्रा उसके भी आगे निकले पुनश्च यही शुभकामना।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बेहतरीन रचना
ReplyDeletemaine apney blog pr ek lekh likha hai- gharelu hinsa-samay mile to padhein aur comment bhi dein-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
मेरी कविताओं पर भी आपकी राय अपेक्षित है। यदि संभव हो तो पढ़ें-
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
अक्सर लोगा कुछ पोस्ट के बाद पैक अप कर देते हैं. ऐसे में 100 पोस्ट. आशा है, तेंदुलकर की तरह सेंचुरी पर सेंचुरी होती जायें.
ReplyDelete