Saturday, January 3, 2009

A Letter By A Father To His Son

जमशेदपुर हमारे दोनों बेटों का जन्म जमशेदपुर में हुआ है। बड़े बेटे के जन्म के समय उसके पापा यानि मेरे पति पटना में थे। एक बार जब मेरा बड़ा बेटा भास्कर(पुत्तु) करीब दो साल का था तथा छोटे बेटे का जन्म ही हुआ था, उस समय मेरे पति जमशेदपुर हमलोगों से मिलने आए और एक दो दिनों के बाद जब जाने लगे तो पुत्तु अपने पापा को जाने नहीं देना चाह रहा था, बहुत मुश्किल से छुप कर वो गए। उनके जाने के बाद यदि कोई उससे कहता कि पापा ठग कर चले गए तो उसे अच्छा नहीं लगता और कहता नहीं ठग कर नहीं गए बोलकर गए हैं। उस ज़माने में फ़ोन तो बहुत कम लोगों के पास होता था, इसलिए चिट्ठी का ही सहारा था। पहुँचने पर उन्होंने बेटे पुत्तु को एक चिट्ठी लिखी जिसे वो सदा अपने साथ ही रखता था। यहाँ तक कि सोते समय भी वो अपने तकिया के नीचे ही रखता था। सो कर उठता तो पहले उस चिट्ठी को ही ढूंढ ता। वह चिट्ठी इस प्रकार है:
पुत्तु बेटे,पुत्तु बेटे, 
क्या करते हो लेटे-लेटे , 
पापा की आयी है चिट्ठी, 
मांगें हैं वो खट्टी मीठी। 
कहतें हैं वो रंज न करना, 
छोटे से तुम जंग न करना, 
मम्मी को तुम तंग न करना, 
कभी न छूना धूल औ मिट्टी, 
पापा की आयी है चिट्ठी। 
आते समय पापा लायेंगे,
तुम्हारे लिए निनी बू, नोनेंज, 
और आयीनन पत्ता।
निनी बू वो नाईस बिस्किट nice biscuit को कहता था, नोनेंज orange को कहता था तथा आयीनन पत्ता new dress को कहता था। जो तीनो उसे बहुत पसंद था।

3 comments:

  1. आपके बेटे और पति से मिलकर अच्छा लगा।

    हिन्दी में और भी लिखिये। यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।

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  2. Didi....I still remember that one by heart !!!!

    There are some missing .....

    Chotey se jang na karna ,
    Mummy ko tang na karna ...
    Kabhi na choona dhool au mitti ...
    Papa ki aayi hai chitthi !!!!
    And to add more I will sen you what he wrote me on HOLI festival ....

    AMAZING !!!!

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  3. Thanks Binny,
    For reminding me those lines.

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